Ranjan Kumar

Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ). Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

खुशफहमी गंगास्नान की : नाले में नहाके – Ranjan Kumar

beautiful sunset

  नदी अपनी राह खुद बनाती है जंगलों पहाड़ों और मैदानों के बीच से गुजरती हुई समुद्र तक…जबकि नहरें खोदी जाती हैं दूसरों के द्वारा …नदी की गहराई प्राकृतिक है नहरों की कृत्रिम,   कुछ बरसाती नाले भी उफनते हैं…

इस तरह से आप पाएंगे मन का असीम सुकून – Ranjan Kumar

plant in hand

कल के दिन की समाप्ति के साथ ही इस वर्ष के कैलेंडर का एक और पन्ना वक़्त की गर्त में दब गया..एक और महीना समाप्त..! क्या खास किया इसका कभी हिसाब करके देखिये, एक बड़ा सा शून्य..सामने होगा..! सोचा बहुत कुछ…

सांप से भी ज्यादा जहरीला है आज का इंसान – Ranjan Kumar

gas mask

सांप से भी ज्यादा जहरीला है आज का इंसान , सांप एक बार डस ले तो  जान पर बन आती है फिर या तो बचती है या जान निकल जाती है !  इंसानों की फितरत ये की आस्तीनों में पलते…

Hindi poem : एक कश्ती हूँ मैं – Ranjan Kumar

Ranjan Kumar Hindi Poetry

दरिया मे तैरती डूबती  उतराती सी  एक कश्ती हूँ मैं , लहरों के थपेड़ों से  डरकर नहीं पूछती  अंजाम कभी !! इसे मेरा हौसला  कहती है ये  बहती हुई नदी अक्सर , और किनारों को  लगता है लहरो के संग …

Hindi poem on life : झूठ का वहम भी अच्छा है – Ranjan Kumar

depressed person

झूठ का वहम भी  अच्छा है  जिन्दगी को सुकून से  जी लेने के लिए ! सत्य खोल देता है जब  चेहरे के ऊपर का चेहरा  और झाड़ पोंछ देता है  परत दर परत जमी  वक़्त की धूल , तब रूबरू…

Spiritual love poem : तुम्हारा अक्स – Ranjan Kumar

man standing alone in rain

तुम्हारा अक्स  अश्कों में झिलमिलाता है ,   फिर पूछता हूँ खुद से  अब तक मेरे होने का सबब ?   ये अँधेरे जो पसरे हैं  बिन सबेरों के, इनके सूरज का बेवजह डूब जाने का सबब ? – रंजन…

तुलसीदास रचित श्री हनुमान-बाहुक से संकलित हनुमान वंदना – Spiritual collection Ranjan Kumar

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दूत रामराय को , सपूत पूत पौन को ,तू अंजनी को नंदन प्रताप भूरी भानू सो ! सिय- सोच- समन , दुरित-दोष-दमन , सरन आये अवन ,लखन प्रिय प्राण सो !! दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो , प्रकट तिलोक ओक़…

कबीरा खड़ा बाजार में भूंकत स्वान हजार

    “कबीरा खड़ा बाजार में, भूंकत स्वान हजार…! ” इस कहावत को इस तरह से समझता हूँ मैं ..कबीर बाजार में खड़ा होंगे तब हजारों स्वान भूकेंगे ही…इन स्वानो के भूँकने से ही कबीर की आहट मिलेगी जमाने को अब ..!…

Hindi poetry: वो कौए कौए भी न रहे

कुछ कौए  हंस बनना चाहते थे , पर रंग कर अपने सफेद  .. वक़्त की बारिश में  धुल गए रँगे पंख , हंस तो बन न सके.. अब तो हालत ये कि  वो कौए कौए भी न रहे !! –…

Hindi poetry : रक्त चूषक – Ranjan Kumar

rakt chusak

रक्त चूषक अक्सर  लिजलिजे होते हैं , सर्व सुलभ  और सर्व ब्यापक भी ! यथा जोंक ,चमोकन , खटमल , मच्छर , और कुछ इंसान भी …! इनके आस पास होने का एहसास ही अजीब लिजलिजेपन से भर देता है…