
अपने वालिद के मौत पर जनाब निदा फाजली साहब ने जो यह कविता लिखी थी इस कविता से मेरा पहला परिचय हुआ जनाब निदा फाजली साहब के साहित्य संसार से …

दो बार मिला निदा फाजली साहब से…पहली बार दिल्ली में …उनकी गजलें किस तरह मेरे सुबह शाम में उतरती हैं ये कहने का अवसर मिला था तब…!

उन्होंने वहां सर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया और मैंने उन्हें अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं …गजल से कुछ शेर सुनाने की गुजारिश की थी…मंच पर वह जब गए तो पूरी गजल पढ़ी मेरे लिए…

दूसरी बार मिला था उनसे भोपाल में…खास उन्हें ही सुनने पहुंचा था उस शाम वहां मुशायरे में ,तब मैं महीने भर के लिए आमला मध्यप्रदेश में था और अखबार में उनका प्रोग्राम का जिक्र पढ़ा…इस गजल ने खूब शमां बांधा था वहां ..

08 फ़रवरी 2016 को उनके निधन की खबर से सदमा से भर गया था मन, एक ऐसा शायर आज अपने बीच नहीं जिसके हर शब्द से मुझे गहरा नाता लगता है…

अक्सर पसंद की मेरी जितनी भी गजलें सुनता हूँ अधिकतर उनकी ही कलम से निकली हैं…अलविदा निदा फाजली साहब..विनम्र श्रद्धांजलि…आपके अल्फाज कभी नहीं भूल [पाएंगे…आपकी कलम ने हर अंधेरों के बीच सबको रास्ता दिखाया है ..ऐसे कलमकार कभी नहीं मरते !
– रंजन कुमार