जबतक सुविधा हो,
ठहर जाओ
सफ़र लम्बा है ,
मोड़ कोई आएगा,
तो कतरा कर
निकल जाना !
साथ के भरम में ,
कट जाए सफ़र
जितना कटे ,
अन्जाम गुलिस्ताँ का ,
आखिर है ..
उजड़ जाना !!
– रंजन कुमार
जबतक सुविधा हो,
ठहर जाओ
सफ़र लम्बा है ,
मोड़ कोई आएगा,
तो कतरा कर
निकल जाना !
साथ के भरम में ,
कट जाए सफ़र
जितना कटे ,
अन्जाम गुलिस्ताँ का ,
आखिर है ..
उजड़ जाना !!
– रंजन कुमार
वाह!