lockdown sharab ke theke

अनजाने में देश की अर्थव्यवस्था का बहुत नुकसान पहुंचा दिया मैंने पिछले कई सालों से यह ईमानदार स्वीकारोक्ति अब कर ही लूँ जिससे पाप कुछ कम हो जाए!

एक तो मैंने खुद कभी दारू पीकर देश की अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नही दिया उल्टा पिछले 6 सालों में 100 से ज्यादा बेवड़ों की भी दारू छुड़वा दी उन्हें अच्छी आदत सिखाने के जुनून में!

देश की कमजोर होती अर्थव्यवस्था के लिए मेरा योगदान भी जिम्मेदार है यह भूल क़भी पता ही नहीं लगती मुझे अगर लॉकडाउन में मंदिर विद्यालय सब बन्द रखके प्रायोरिटी पर दारू के ठेके नही खुलते ..!

मन्दिर सूना सूना होगा भरी रहेगी मधुशाला…रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आएगा…

गोपी फ़िल्म के इस गीत को पूर्ण संकल्प के साथ धरातल पर जीवंत उतार देने वाले झोला उठा के आगे भविष्य में हिमालय को जाने वाले तपस्वी आपको कोटिशः प्रणाम …!

– रंजन कुमार

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