अल्पना जी को फूल बहुत पसंद हैं और फूलों को भी अल्पना जी बहुत पसंद हैं !यह कोई मजाक नहीं है जनाब ..मैंने महसूस किया है की बिना हवा के भी अल्पना जी के पहुंचते ही फूल खिलखिला उठते हैं उनकी डालियाँ झूम उठती हैं ! वो अपनी महमहाती किचन गार्डन में जब पहुंचती हैं फूलों को अपने दुलराने तो मै कन्फ्यूज हो जाता हूँ ये मासूम फूल उन्हें देखकर ज्यादा आह्लादित हो झूम उठे हैं या अल्पना जी ज्यादा आह्लादित प्रसन्नचित्त हो खिलखिला उठी हैं अपने लगाए फूलों में निखरते अनुपम सौन्दर्य को देखकर ..! कुछ भी हो मुझे तो दुगना आनंद मिल जाता हैं क्योंकि मुझे एक साथ दोनों का खिलखिलाना मिल जाता है ,अल्पना जी का भी और इन फूलों का भी ..क्योंकि मुझे तो खिलखिलाते फूल भी प्यारे हैं और मुस्कराती खिलखिलाती अल्पना जी भी …!!
मालती की बेलें ..और अल्पना जी की किचन बगिया में मौजूद अन्य पौधे ..
वैसे ही चिडिओं को दाना डालने का उनका अल्पना जी का शौक पुराना है और वो उन चिडिओं का कलरव छत की मुंडेर पर सुन खिलखिला उठती हैं और चिडिओं को उछल उछल दाना चुगते देख आह्लादित प्रसन्नचित्त हो मंत्रमुग्ध हो जाती हैं उन्हें देखते हुए आत्म विस्मृत सी …यहाँ भी मुझे दुगना आनंद मिल जाता हैं क्योंकि मुझे एक साथ दोनों का खिलखिलाना मिल जाता है ,अल्पना जी का भी और उन चिडिओं का भी ..क्योंकि मुझे तो खिलखिलाते पंछी भी प्यारे हैं और मुस्कराती खिलखिलाती अल्पना जी भी …!!
-रंजन कुमार