अब्राहम लिंकन का पत्र अपने बेटे के शिक्षक के नाम: अनुवाद स्वर्गीय श्री राजीव चतुर्वेदी

Abraham Lincolin
 
  • शिक्षक दिवस विशेष..

  • अब्राहम लिंकन का पत्र अपने बेटे के शिक्षक के नाम

  • अनुवाद स्वर्गीय  श्री राजीव चतुर्वेदी जी

 
मैं जानता हूँ और मानता हूँ कि
हर व्यक्ति न तो सही ही होता है 
और नहीं होता है सच्चा,
नेक लोगों के विचार एक हों 
यह जरूरी भी नहीं,
सिखा सकते हो तो मेरे बेटे को सिखाओ 
कि कौन बुरा है और कौन अच्छा..!

बता सकते हो तो उसे बतान कि 
चालाक और विद्वान् में अंतर होता है,
दुष्ट लोगों की सफलता का सच भी उसे बताना
पर यह जरूर बताना कि 
बुरे यंत्रणा और आदर्श प्रेरणा देते हैं,
सभी नेता स्वार्थी ही नहीं होते ..
समर्पित नेता भी होते हैं हालांकि कम ही होते हैं!

समाज में शत्रु और मित्र पहले से नहीं होते, 
बनाने से बनते हैं..
कुरूप और स्वरुप दृष्टि के अनुरूप होते हैं,
बता सकते हो तो उसे बताना कि
करुणा पाने से बेहतर है करुणा जताना..
कृपा से मिले बहुत से बेहतर है 
मेहनत से थोड़ा पाना…
सिखा सकते हो तो उसे सिखाना कि 
हार के बाद भी मुस्कुराना..!

बता सकते हो तो उसे यह भी बताना कि
ईर्ष्या और द्वेष 
“प्रतियोगिता की भावना” के प्रतिद्वंद्वी हैं,
जितनी जल्दी हो उसे यह बताना कि
दूसरों को आतंकित करने वाला 
दरअसल स्वयं ही आतंकित होता है
क्योंकि उसके मन में ही चोर होता है,
उसे दिखा सको तो दिखाना 
किताबों में खोया हुया खजाना
पर यह भी बताना कि
दूसरों की लिखी किताब पढने वालों से बेहतर है 
खुद किताब बन जाना..!

उसको इतना भी नहीं पढ़ाना कि भूल जाए वह 
अंतर्मन के गीत गुनगुनाना,
उसको चिंता और चिंतन का समय देना 
ताकि वह जाने झरनों का निनाद
मधु मक्खी का गुनगुनाना .
फूलों की महक ,चिड़िया की चहक, 
तारों का टिमटिमाना
उसे सिखा सको तो सिखाना
शातिर सफलता से बेहतर है 
सिद्धांत के जोखिम उठाना…!

सत्य स्वतंत्र होता है 
और साहसी ही विनम्र होते हैं
यों तो रेंगते लोगों की भीड़ है 
पर नायक तो वही है जिसकी मजबूत रीढ़ है..
उसे सिखा सकते हो तो सिखाना
सदमें में मुस्कुराना,
वेदना में गाना…
लोगों की फब्तियों को मुस्कुरा कर सह जाना,
अगर सिखा सकते हो तो उसे यह भी सिखाना
अपने बाहुबल और बुद्धि का संतुलन बनाना,,!

वैसे तो मेरा हर गुरु से यह अनुरोध है
पर चाह लो तो तुम कर सकते हो, 
इसका मुझे बोध है
हर बच्चे का तुम्हारे साथ एक ही रिश्ता है
समझ लो हर बच्चा 
एक प्यारा सा फ़रिश्ता है.” 
 

(अनुवाद – स्वर्गीय श्री राजीव चतुर्वेदी )

 
Share the content:
Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

Articles: 424

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *