तुम मरे नहीं धृतराष्ट्र
जिंदा हो अब तक !
आकार मे नहीं
तो संस्कारों मे ,
घुसे हुये हो जाने
कितने ही
पिताओं के विचारों मे !
जब तक एक भी
ब्लात्कार की घटनाये होंगी
ब्लात्कारी के पिता के संस्कारों मे !
तुम जिंदा रहोगे धृतराष्ट्र
आज के दुर्योधनो के कृत्यों पर भी
वैसे ही पट्टी बांधे ,
निश्चिंत, निर्भीक..
अभी कोई कृष्ण नहीं बाधक
तुम्हारे दुर्योधनो की वासनाओं का
दमन कर सकनेवाला !
तुम मरे नहीं धृतराष्ट्र
जिंदा हो अब तक !
एक चुनौती बनकर ,
आकार मे नहीं
तो संस्कारों मे !!
– रंजन कुमार