ये उम्रदराज घमंडी पढ़ाकू – जीरो या हीरो

उम्र के चालीसवें साल तक किताबें लेकर बाप दादा के पैसे उड़ाते पड़े रहनेवालों के अंदर बहुत पढ़े लिखे होने का बहुत ही ज्यादा ग़ुरूर आ जाता है!
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उम्र के चालीसवें साल तक किताबें लेकर बाप दादा के पैसे उड़ाते पड़े रहनेवालों के अंदर बहुत पढ़े लिखे होने का बहुत ही ज्यादा ग़ुरूर आ जाता है!

बकलोल कहीं के ..जिंदगी का दो तिहाई दूसरो की कमाई पर पड़े पड़े उड़ाते निकाल दिए, अब शेष वक्त उसकी भी डींगें हाँकने में निकाल देगा कि जब 18 साल का था तबसे किस किस नौकरी में भर्ती होने का फार्म भरा था और कभी इधर कुछ हो गया कभी उधर कुछ हो गया और कुछ नही तो मरदुआ को इंटरवियू के वक्त ही कभी सर्दी हो गयी कभी दस्त हो आया फाइनल टच पॉइंट पर ही ..

कहने का मतलब यह कि अपनी असफलता छिपाने के सौ हथकंडे..यह भूल जाते हैं कि इंटरवियू के वक्त दस्त लगना और सर्दी जुकाम होने लगना कमजोर मानसिकता का लक्षण है न कि बीमारी !

और सबसे अंत मे बघारेगा की देखो इतना होने पर भी हम कहाँ तक पहुंचे पढ़ते पढ़ते ..!

उम्र के पैंतालीस तक बाप दादा की कमाई उड़ाने वाले ऐसे हरामखोरो को देखते ही थप्पड़ मारने का मन करता है बस…तेरी इस डिग्री के पुलिंदे से होना क्या है ..?पढ़ल लिखल होने के फालतू के गरूर और लाद लिए माथे पर ..क्योंकि ये रचनात्मक कम विध्वंशात्मक और सबके प्रति नकारात्मक सोच रखते हैं अपनी कुंठा में जब देखते हैं कि हमसे सब कम पढ़ल लिखल भी मेहनत मजदूरी के बल पर ही सही ज्यादा आर्थिक सम्पन्न हो गया सब ..!

खुद कुंठित होते है ऐसे लोग और दूसरों को बोलते घूमते है ऐसे लोग की फलाना घमंडी है ढेकनवा भी घमंडी है!

जो इनको इनका मनचाहा सम्मान न दे,इनकी चरण वंदना न करे सुबह शाम और देखते ही इनपर झुक झुक के मर मिट न जाय यह याद दिलाते हुए इनको कि आपके जितना पढ़ल लिखल कौन है गांव जेवार में कहीं ..यह न कहनेवाला इनकी नजरो में वह सब घमंडी ??

यह कह दो तो इनका अहंकार तृप्त होता है और न कहा किसी ने अगर हर एक दो घण्टे में तो फिर इनके अंदर की छटपटाहट और बेचैनी देखो फिर चेहरे पर ..गुस्से से तमतमाए अंदर से भरे फटने को आतुर ..जैसे 45 साल तक पड़ल रह कर पढ़ लिख के डिग्री ले के अपनी कोई एहसान कर दिए हो पूरी दुनिया पर ..!

ऐसे महापुरुषों को जहां बकलोली करते अपना ज्ञान झाड़ते देखिये वही दो थप्पड़ जड़िए ..तभी इनकी कुम्भकर्णी नींद टूटे शायद !!

(अब यह पढ़ के भी कुछ लोग बिलबिलाएँगे और कहेंगे हमको कि देखो कितना घमंडी हैं ये..चलो अपना गुस्सा मुझपर झाड़कर स्वस्थ हो जाएँ कुछ भाई अगर तो ये भी कुबूल है ..!)

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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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