मेरे घर के बाहर की क्यारी में एक अमरुद का बड़ा पेड़ है जिसकी इस शाखा पर एक गोरइए का घोसला दिखा था कुछ दिन पहले छोटा सा …फिर अंडा भी दिखा और कुछ दिन बाद एक नन्हा सा बच्चा भी …
इस डाली की ऊंचाई बहुत ज्यादा नहीं तो मैं इसे दिन में कई बार जाकर देखा करता था क्योंकि मुझे फिकर होती थी बच्चे की ,जब चिड़ियाँ नहीं होती थी ! इस डर से कि इनकी दुनिया में मेरी दखलंदाजी से ये परेशान न हों मैंने तस्वीर लेने की दिल की इच्छा को दफ़न कर दिया !
कई बार ऐसा हो जाता है कि आप जरुरत से ज्यादा किसी का ध्यान रखने लगें और वह परेशान होने लगे !
पिछले कई दिनों से उसके घोसले के सामने वाली खिड़की के पास मैं बैठा करता था जिससे उसे भी देखता रहूँ और मेरा काम भी होता रहे !
आज सुबह जब उसे देखने गए तो न बच्चा था वहां न ही चिड़ियाँ …दिल किसी अनहोनी की आशंका से धड़क उठा …लेकिन जब ऊपर नजर उठाई तो दोनों उसके ऊपर की शाखा पर बैठे दिखे …
बच्चा उड़ने के काबिल हो गया और अब ये यहाँ नहीं मिलेंगे …शायद उन्हें इल्म हो की मुझे उनकी चिंता है तो आखिरी सन्देश देने के लिए वहीँ बैठे थे …
मैं कैमरा लेकर जब पहुंचा तो इसके पहले कि मैं उनके करीब जाऊं वो दो बार अपनी आवाज में बोले कुछ …जो मैं समझ न सका और फिर दोनों आसमान में उड़ गए …चले गए दूर …
शायद वह उनकी और से विदा के शब्द हों …मन उदास हो गया है और मूड थोडा अपसेट …अब ये यहाँ नहीं मिलेंगे …पर ख़ुशी है की उन्मुक्त गगन में सुरक्षित उड़ गए तुम …
तूफान और बारिश में मुझे इन दिनों इनकी बड़ी फिक्र होती थी …विदा मेरे नन्हें से मित्र …तुम्हारा ये घोसला मुझे तुम्हारी याद दिलाएगा …अब तुम नहीं हो बस ये खालीपन है इस घोसले में ..और सच कहूँ तो मेरे मन में भी …
– रंजन कुमार