धड़कनों की सदा सुनो जाना

धड़कनों की सदा सुनो जाना…
तेरी आंखें जो गजल लिखती हैं
चुपके से मेरे चेहरे पर…
सिर्फ मेरी आंखों में वो स्याही है
जो उतार ले उनको लब्जों में …!

रूबरू मेरे रहे तू कयामत तक,
और तेरी आंखें कहती रहे गजल मुझसे,
बस इतनी सी ख्वाहिश है…
मैं चुनता रहूं तेरी आंखों से बोल
गीतों के अपनी गजलों के…!

दो चार जन्म तो कम होंगे
तुम्हें सामने बिठा के तुम्हे देखने के लिए…
देखते ही रहने के लिए…
कितने जन्मों से प्यासी थीं ये आंखें
तब जा के तेरा दीदार हुआ..!

ये मोहब्बत का करिश्मा है,
जो बार बार हुआ मिलन अपना …
हीर और रांझें को,लैला और मजनू को
सोनी महिवाल को,दुनिया ने मिलने न दिया हो
तो भी कहां और कब जुदा कर पायी भला ?

ये रूहों के रिश्ते हैं रूह से जो बंधे है अपने
तेरे चेहरे से,तेरी आंखों से बरसते
प्रेम के फूलों को चुनते चुनते,
उन नूरानी नरम अहसासों में
भींगता रहे मेरे हमदम ये मेरा तेरा मन बावरा…!

चलो मोहब्बत की ऐसी दुनिया में
जहां मैं तेरी निगाहों में गजल पढ़ता रहूं
तेरी अदाओं पे शेर लिखता रहूं
और तुम मेरी आंखों से गजल सुनते रहो…
कयामत आने तक कयामत आ के फिर जाने तक !!


– रंजन कुमार 22 फरवरी 2023

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