कभी न घबराना तुम
गम के जंगल में ,
आएगा दिन गर
रात है आई ,
विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !
सपने देखो ऐसे जो
तुम्हे आबाद करे ,
इस जीवन में हर बंधन
से आजाद करे !
लब पर अपने फरियाद
न तुम आने देना,
चाहे दुःख की घनी
बदली हो छाई !!
विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !
क्या ऐतबार मेरे प्यार
का तुम कर सकती हो ,
गर राहों में कांटे भी
मिले चल सकती हो ?
तो आओ रख दो हाथ
मेरे इन हाथो में ,
देखो कैसी बहार
बसन्ती पवन है लाई !
विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !
जीवन में खुशियाँ अपने
आप नहीं मिलती,
सागर से सीप की तरह
ही ढूंढ़नी है पड़ती !
कभी न रखना किसी
से कुछ भी उम्मीदें ,
कुछ मिल जाये तो उसमे
खुशियाँ बहुत समायी !!
विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !
कभी न घबराना
तुम गम के जंगल में ,
आएगा दिन
गर रात है आई !
विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !!
– रंजन कुमार