मेरे हालात सुलझाने में
मुसीबत में घिर मत जाना !
मुझको बहलाने में तुम
खुद ही बिखर मत जाना !!
गर्दिशों के दिन हैं मेरे
तकाजा है वक़्त का सुन लो ,
गुस्ताखिओं पे गैरों सा
तुम भी बिफर मत जाना !!
टकराता है नरम दिल
सख्त दुनिया की चट्टानों से ,
इसकी होती है क्या गत
देख , तुम डर मत जाना !!
जीना भी न कम मुसीबत
से जमावड़ा बेईमानो का ,
खींचने आयेंगे तुम्हें , ऐसी
किश्ती में उतर मत जाना !!
– रंजन कुमार