क्या रास्ता है,
रहगुजर क्या ,
पूछ लूँ रब से जरा !
कौन गुजरा,
कब यहाँ से,
ले लूँ पता
उसका ज़रा !!
जरा जान लूँ
पहचान लूँ,
हैं दुश्वारियां
क्या राह में !
कौन निकला
पार इसके,
और कौन
औंधे मुंह गिरा !!
दुनिया का क्या,
कहती है जो कहने
उसे दे जो कहे !
न रंज कर,
न सवाल कर कहने
दो सबको सिरफिरा !!
वह जो मेरी
तन्हाईओं को,
दे के जाता
ख्वाब कुछ !
रुक कर लूँ
कुछ संवाद
उससे ले लूँ
उसकी भी रजा !!
– रंजन कुमार