उसने कहा था ये
सजग रह
हर सन्नाटे को
जख्मी करना !
जो सन्नाटा पसरा है
उसके चले जाने भर से
इसे जख्मी करने में
हौसलों को भी
नींद आती है अब !
सोचता हूँ लम्हा लम्हा
सफ़र में सो गया
हौसला ही जो मेरा
तो अब कौन
थपकियाँ दे जगायेगा…!!
– रंजन कुमार