तुलसीदास रचित श्री रामचरितमानस पढ़ते वक़्त अहल्या द्वारा श्री राम कि स्तुति में कहे गए इस छंद की इन दो पंक्तिओं पर विचार करने के वावजूद मैं समझ नहीं पाया था तब ये प्रश्न सोशल मीडिया पर फेसबुक द्वारा मैंने पूछा था ….
मैं नारी अपावन प्रभु जग पावन रावण रिपु जन सुखदाई !
राजीव बिलोचन भव भय मोचन पाहि पाहि सरनहिं आई !!
रावण रिपु कहकर यहाँ अहल्या ने राम को सम्बोधित किया है जबकि अभी तक रावण के साथ राम कि कोई दुश्मनी नहीं है !किसी भी मित्र को अगर मालूम हो तो इसे स्पष्ट करें …इसमें क्या भेद है !!
यही प्रश्न मिलने के बाद मैंने सियाराम बाबा से पूछा,जो उत्तर मिला वह इस वीडिओ में है देखिए…
रंजन कुमार