घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही रस्ते में है उसका घर:इस गाने के साथ जुड़ी एक बड़ी मीठी याद

आज फिर ये गाना यू ट्यूब पर सुनते हुए मेरी प्लेलिस्ट में नजर आ गया …घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही रस्ते में है उसका घर… संगीतकार राजेश रौशन,गीतकार जावेद अख्तर और फिल्म है 1996 की “पापा कहते हैं” और इसे आवाज दी है उदित नारायण ने…परदे पर जुगल हंसराज और मयूरी कांगो की जोड़ी….

इस गाने के साथ एक बड़ी मीठी याद जुड़ी है,आगरा के भगवान टाकीज में ये फिल्म लगी थी रिलीज के बाद और मैं मनोज कुमार शर्मा सर Manoj Kumar जो मेरे एयरफोर्स में सीनियर भी रहे हैं और बड़े भाई भी रहे हैं उनके साथ ये फिल्म देख के लौट रहे थे…उनको ये गाना इतना पसंद आया कि रास्ते में रुक के उन्होंने इस फिल्म की कैसेट भी खरीद ली और हमलोग अपने बैरक में वापस लौट आए…ये गाना सुबह दोपहर शाम सुनाई देने लगा फिर मनोज सर के डेक में बजते हुए…

हम एक ही बैरक में रहते थे तब और ड्यूटी से साथ रहने तक 24 घंटे का साथ था ..! हम दोनो संगीत पसंद करनेवाले थे और हमारी पसंद भी एक जैसी थी…100 से 125 कैसेट (तब कैसेट आते थे) का संकलन मनोज सर के पास था और उतना ही लगभग मेरे पास…हम कैसेट खरीदने भी साथ ही जाते थे और ये म्यूचुअल समझ थी हमारी कि जिस गाने का कैसेट मैने ले लिया उसे वह नहीं लेते थे और जो वो ले लेते थे वह मैं नहीं क्योंकि वो बजाएं मैं बजाऊं कोई अंतर था नहीं…

उनके खरीदे कैसेट मेरे डेक में मेरे कपबोर्ड में और मेरे खरीदे उनके डेक में उनके कपबोर्ड में रखे होते थे और जब भी हममें से कोई छुट्टी पर जाए घर तो चाभी दूसरे के पास ही होता था…एक दूसरे की पूरी संपत्ति के वारिस हम दोनो ही थे छुट्टी के दौरान ..एक जीवन का अविस्मरणीय कालखंड है वह आगरा में हमारा …!

मैने एक दिन चर्चा की मनोज सर से इस गाने पर और पूछा ये गाना मुझे तो जमा नहीं लेकिन आपको इतना भा गया सर …वो उस समय सिर्फ इतना बोले कि मेरा और आपका टेस्ट तो मिलता है यहां भी मिल जाएगा,आपको समझाऊंगा जब कि ये गाना क्यों अच्छा लगा,शायद आपने इसे सतही तौर पर सुनके नकार दिया है…ड्यूटी जाने की जल्दी थी,बात यहीं खत्म हो गई!

शाम को लौटे ड्यूटी से तो फिर ये गाना बजाते हुए एक एक लाइन को मुझे उन्होंने गौर से सुनवाया और कहा याद कीजिए इस गाने की पिकचराइजेसन…घर से निकलते ही कुछ दूर चलते ही … रस्ते में है उसका घर…पूरी गीत को मैने उनके शब्दों में उनकी व्याख्या के तौर पर सुना और वो सही थे,सतही तौर पर सुनके मैने इस गीत के बोल पूरे कभी सुने ही न थे…जब उनसे इसकी पूरी लिरिक्स सुना तो मुझे भी ये गीत बहुत पसंद आने लग गया और उनके चेहरे पर मुस्कान आ चुकी थी क्योंकि उन्होंने इस गाने को पसंद न करने के पीछे का कारण सरल,सहज तौर से पकड़ लिया था …किस हद तक मुझे मनोज सर जानते हैं यह इसका भी अन्यतम उदाहरण है…

जब भी इस गाने को सुनता हूं मुझे इसकी वीडियो नहीं याद आती मनोज सर के सामने बैठ के एक एक लाइन इसकी प्ले कर और फिर पॉज कर उनका वो एक एक लाइन का इसके वर्णन करनेवाला पल उस दिन का सामने आ जाता है…कुछ पल स्मृतियों में ऐसे कैप्चर हो जाते हैं मानो अभी फिर घटित हो रहा हो…इस गाने के साथ वह पल कुछ यूं ही जुड़ा है …

27 सालों के बाद भी इस गीत का आनंद और इस गीत के साथ जुड़ी ये याद आज भी जीवंत है मन में,मस्तिष्क में और ये छोटी छोटी यादें जीवन को सही अर्थों में जीवंत बनाए रखती हैं…

बिना मनोज सर को पूछे ये लिख रहा हूं पूरे अधिकार के साथ क्योंकि कुछ लोगों पर आपका इतना अधिकार होता है कि उनसे अनुमति लेने का अर्थ होता है उस अनमोल प्यार को कम कर देना…और मैने मनोज सर पर इतना अधिकार सदा ही रखा है….

❤️❤️❤️
रंजन कुमार 19 अगस्त 2023

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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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