उच्च शिक्षा संस्थानों के पदाधिकारी और उनकी नाक

उच्च शिक्षा संस्थानों मे बड़े बड़े पदों पर काबिज पदाधिकारियों से जब भी कभी मिलना होता है किसी न किसी काम या कोई विमर्श को लेकर तो मेरी नजर सामने वाले की नाक की नोक पर होती है ..

और मेरे मन का पैमाना यह तौल रहा होता है अंदर ही अंदर ..इसके नाक की नोक कितनी घिसी होगी अलग अलग दलों के नेताओं के जूतों पर रगड़ रगड़ यहाँ तक पहुंचने मे ..?

योग्यता पर दस प्रतिशत लोग भी सफल नही होते ..वहां सफलता का एक ही पैमाना है चापलूसी और राजनीतिक गठजोड़ …

और इन सबमे सफल वही होता है जो शुरू से हीं बॉस के जूते पर नाक रगड़ना शुरू कर दे …

में इस तथ्य को भली भाँति समझता हूँ और कई घनिष्ठ मित्रो को ऐसा कर सफल होते देख चुका हूँ और देख चुका हूँ उनकी अब की घिसी नाक भी और देखी थी उनकी पहले की खूबसूरत रसूखदार नाक भी …

और ये नाक रगड़ने वाले अक्सर दंभी और कायर होते हैं भीड़ देखते ही इन्हें पुलिस की याद आती है और सबसे पहले अपनी नाक की सुरक्षा को तवज्जो देते हैं आगे फिर जो रगड़ना होगा साहब के जूतों पर ..!!

कुछ घनिष्ठ मित्रो से खेद सहित ..दिल पर न लें ..अपनी आदत है जनाब,खरी खरी कह देने की !!

– रंजन कुमार

About The Author

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top