
सिर्फ जीवन को ही नहीं
तुम मृत्यु को भी
उतनी ही तल्लीनता से
गुनगुनाओ अब तो …
वरना शब्दों के चितेरे ,
और गीतकार
तुम हो नहीं सकते ,
और गीतकार
तुम हो नहीं सकते ,
खुद को दिया धोखा है फिर
ये हुनर तेरा ..ए कवि
अगर यह हुनर
तुममें अबतक नही उतरा !!
– रंजन कुमार