देश काल की तात्कालिक परिस्थितियां हमेशा महामानवों के विरुद्ध ही क्यों

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विवेकानंद जैसे युगपुरुष ने 

इतनी छोटी उम्र में ही 
समाधि  क्यों ले ली …? 

एक विकट प्रश्न है यह..
जो उठता है मन में मेरे 
धुँआ बन बन के..!

और जितना जानने की 
समझने की इसको ,
कोशिश करता हूँ 
उतना ही उलझता हूँ …! 
 
देश काल की 
तात्कालिक परिस्थितियां 
हमेशा 
महामानवों के विरुद्ध ही 
क्यों होती हैं …?
 
और फिर ,
उनके गुजर जाने पर ,

लकीर पीट पीट
उन्हें स्वीकारते हैं ,
हम बहुत बाद में …
क्या यह दुर्भाग्य नहीं है .. !!
 
– रंजन कुमार

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