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दूत रामराय को , सपूत पूत पौन को ,
तू अंजनी को नंदन प्रताप भूरी भानू सो !


सिय- सोच- समन , दुरित-दोष-दमन , 
सरन आये अवन ,लखन प्रिय प्राण सो !!


दसमुख दुसह दरिद्र दरिबे को भयो ,
प्रकट तिलोक ओक़ तुलसी निधान सो !


ज्ञान-गुनवान बलवान सेवा सावधान ,
साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो !!


(तुलसीदास रचित श्री हनुमान-बाहुक से संकलित हनुमान वंदना )


संकलन – रंजन कुमार 

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