घर के बाहर ही नही घर के अंदर भी नजदीकी रिश्तेदारों के बीच भी बेटियां सुरक्षित नही हैं कब कहाँ से रावण बन प्रकट हो कहना मुश्किल है, काउंसलिंग ने मुझे यही अनुभव दिया है ..
ये यौन विकृत मानसिकता वालों का
युग है बिटिया ,
सावधान रहना, घर से बाहर ही नहीं
घर में भी ,
पिता जैसों से ही नहीं
पिता से भी,
भाई जैसों से ही नहीं,
भाई से भी ,
सिर्फ लुच्चे लफंगो से ही नहीं
धर्म का चोला ओढ़े बाबाओं से भी,जो बड़ी बड़ी बातें करते हों
नारी की इज्जत की,
जो लड़ाई लड़ते हों
महिला अधिकारों की
उनसे भी ,
और तो और
सिर्फ पुरुषों से ही नहीं
कुछ रसूखदारों द्वारा नियुक्त
उनके महिला दलालों से भी !
युग है बिटिया ,
सावधान रहना, घर से बाहर ही नहीं
घर में भी ,
पिता जैसों से ही नहीं
पिता से भी,
भाई जैसों से ही नहीं,
भाई से भी ,
सिर्फ लुच्चे लफंगो से ही नहीं
धर्म का चोला ओढ़े बाबाओं से भी,जो बड़ी बड़ी बातें करते हों
नारी की इज्जत की,
जो लड़ाई लड़ते हों
महिला अधिकारों की
उनसे भी ,
और तो और
सिर्फ पुरुषों से ही नहीं
कुछ रसूखदारों द्वारा नियुक्त
उनके महिला दलालों से भी !
तुम कहीं भी सुरक्षित नहीं बिटिया,
यह अजीब दौर है ,
सबकी नजरों का केंद्र
सिर्फ तुम्हारा शरीर है
और तुम्हे बचना है
इन भेडिओं से,
घर में भी ,बाहर भी ,
पुरुषों की गिद्ध दृष्टि
है तुम्हारे ऊपर !इस वीभत्स वक़्त में
तुम्हे चलना है कदम से कदम
मिलाकर ,
खुद को बचाकर
तो सावधान रहो बिटिया सावधान ….!!
यह अजीब दौर है ,
सबकी नजरों का केंद्र
सिर्फ तुम्हारा शरीर है
और तुम्हे बचना है
इन भेडिओं से,
घर में भी ,बाहर भी ,
पुरुषों की गिद्ध दृष्टि
है तुम्हारे ऊपर !इस वीभत्स वक़्त में
तुम्हे चलना है कदम से कदम
मिलाकर ,
खुद को बचाकर
तो सावधान रहो बिटिया सावधान ….!!
– रंजन कुमार
इस दौर का यह एक भयावह सच है जिसका सामना आज बेटियां कर रही हैं ..नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा घर में ही नाबालिग छोटी छोटी मासूम बच्चियो का यौन शोषण आज अखबारों की एक आम खबर है ..भारत बनाम इंडिया के इस दौर का विश्लेष्ण एक बार जरुर करिये ..कहां तक गिर गये हम क्या हमारी संस्कृति थी …फ़िलहाल तो बस बेटियो को सावधान रहने की नसीहत ही दे सकता हूँ ..बेबसी का आलम अब यह भी है …