beautiful cute cat


बचपन से सुना था ,

बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे ?

जो बांधे वह बहादुर 
दूसरों को भी मुसीबत से बचानेवाला !


ठहरा बचपन से स्वाभिमानी ,
तो शुरू कर दी बांधना 
घंटी नहीं घंटियाँ ,
जहाँ कहीं भी बिल्ली दिखे ..!


कुछ बिल्ले घर में भी थे ,
पहले उन्हीं के गले में बाँधी घंटियाँ ,
फिर मोहल्ले की बिल्लियाँ ,
और अब शहर की भी !


बिल्लियाँ अब मुझे देखते ही 
भागती हैं ,
नहीं चाहती उनके गले में घंटी लटके ,
पर अब है शौक मेरा,
बिल्लिओं को घंटी बांधना 
लोगों को ख़बरदार करना !


मैं हाथों में घंटी लिए 
बिल्ले और बिल्लियाँ ढूंढ़ता हूँ ,
और वो छुपते फिरते हैं मुझसे ,
घर के बिल्ले भी अब नजर नहीं आते !


कुछ घंटियाँ मेरे हाथों में अब भी हैं ,
और सभी बिल्ले 
घूम रहे हैं मेरी घंटी लटकाए 
गले में ,
कोई दिखे बिना घंटी के 
मुझे मेरे मित्रों खबर जरुर करना !!


– रंजन कुमार

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