“मेरे लिए तुम आओ”
सुनो जाना,
प्रेम ने,प्रेम में,प्रेम को
प्रेम से ही
ये हक दे दिया,
कि मैं तुझसे
ढेरों सवाल करूं…
कभी सारी की सारी बातें
तुम्हारी मान लूं,
बड़े प्यार से,खामोशी से,
और कभी
जिद पर उतर जाऊं
और फिर ढेरो
बवाल करूं…!
तुम बुलाते रहो,मैं न आऊं,
गलती भी करूं
और रूठ जाऊं,
तुम मनाते रहो,
और मैं तब भी न मानूं
तुम्हें गुस्सा दिलाऊं,
खूब चिढ़ाऊं..!
प्रेम जाने कैसा कैसा है,
ये तेरे जैसा है
या फिर मेरे जैसा है ?
जीवन मृत्यु के पार,
प्यार का बड़ा प्यारा
अदभुत संसार…
प्रेम ने प्रेम को दिया
ये अद्भुत उपहार..!
मैने तेरा नाम ले
पुकारा है फिर आज
शिद्दत से..,
बड़े ही प्यार से
अपनी मीठी आवाज में,
सुनो जाना,
तुमने सुना क्या ?
सुना है तो तुम आओ…
बिखेर दो,
जुल्फों को अपनी
मेरे शानो पर,
भींच लो मुझे कस के
अपने आलिंगन में,
इस तप्त हृदय को
अपने शीतल स्पर्श से
तुम आकर सहलाओ..,
सुनो जाना,तुमने सुना क्या,
मैने पुकारा है तुम्हें
बड़ी शिद्दत से,
तेरे दिल तक मेरी
आवाज पहुंची हो अगर
तो तुम आओ…!
नहीं पड़ी तेरी आवाज
मेरे कानों में,
नहीं सुनी तेरी
पायल की रुन झुन
की मधुर संगीत
मेरे कानों ने…
कोई बंधन नहीं है कहीं
जीवन मरण का
दरमियाँ अपने जब,
सब दरवाजे खुले हैं,
तेरे लिए जब,
तो मैने पुकारा है
सुनो जाना,तुम आओ…!
जीवन के टूटते साज पर
नगमों की टूटती लय,
और नगमों की,
टूट रही तान है,
इन्हें सुरों से महमहाओ…
सुनो जाना,
मैने पुकारा है तुम्हें
फिर आज,
शिद्दत से तेरा नाम ले के,
मोहब्बत में
बड़ी मोहब्बत से,
तुमने सुना क्या ..?
अब सारे बंधन तोड़ दो,
और मेरे लिए तुम आओ…!!
❤️❤️❤️
रंजन कुमार 31 Oct 2023