एक में पुरुष पर होते अन्याय तो दूसरे में नारी का न्याय के लिए संघर्ष पर दो बेहतरीन फिल्में “सेक्शन 375” और “थप्पड़” !
दो फिल्में देखी बहुत दिनो बाद पिछले दो दिनों में, एक फिल्म थी “थप्पड़” और दूसरी “सेक्शन 375” !
सेक्शन 375 में महिलाओं के लिए बने कानून का किस तरह से दुरुपयोग हो रहा है और हो सकता है इसे बहुत ही बढ़िया से दिखाया गया है और फिल्म के अंत की कल्पना मैं अंत तक नहीं कर सका था कि ऐसा होगा…ये फिल्म मेरी पत्नी अल्पना जी को चॉइस की थी और उन्होंने स्जेस्ट किया था मुझे…!
दूसरी फिल्म “थप्पड़” बहुत ही संवेदनशील फिल्म है जो एक पत्नी को उसके पति द्वारा एक थप्पड़ मारे जाने के बाद की कहानी है…स्त्री स्वभाव से बहुत कोमल होती है और बहुत संवेदनशील भी ..एक दूसरे को खूब प्यार करनेवाले लोगों में भी पत्नी को थप्पड़ मार देने का अवगुण मैं पति का देखता समझता रहा हूं…एक काउंसलर के नाते भी मेरे पास ऐसे मुद्दे आते रहते हैं …ये फिल्म मेरी चॉयस की थी,और मैने कई ऐसे लोगों को सजेस्ट किया फिर जो अपनी पत्नी के प्रति आचरण में हिंसा और दुर्व्यवहार करते हैं ..!
जो मैं सबको बताता रहा हूं आजतक वही इस फिल्म से भी सीख मिलती है,स्त्री पर किसी हाल में भी हाथ न उठाएं …नहीं तो सब ठीक होते हुए भी बात बिगड़ के बहुत बड़ी हो सकती है…!थप्पड़ फिल्म में तापसी पन्नू से ऐसा भावनात्मक अभिनय करवा लेना,डायरेक्टर का अलग लेवल का कमाल है…!
ऊपर वर्णित दोनो फिल्मों में दो अलग नायिका हैं और वो जिस स्त्री की भूमिका और उसके व्यक्तित्व को परदे पर उतार रही उसमे 180 डिग्री का अंतर है… थप्पड़ में स्त्री पीड़ित है, जो न्याय चाहती है तो सेक्शन 375 में पुरुष पीड़ित है न्याय की खोज में है …!
ऐसी फिल्में बननी चाहिए और लोगों को देखना चाहिए जो लकीर खींचे एक समाज में ..!!
रंजन कुमार 31 Oct 2023