girl meditating

प्यार और स्नेह धारा है एक 
विद्युत् तरंग जैसा ..


निरंतर प्रवाहित 
है जो 
समान तरंगदैर्ध्य से ,
सदृश तरंग दैर्ध्य के बीच ,


और अलौकिकता की भावना से
ओतप्रोत
अगर ये आलोकित है,


और निस्वार्थ तरंगों में
प्रवाहमान है अगर..


तो फिर सफ़र
इश्वरत्व की ओर है
और निर्वाण
फिर बहुत दूर नहीं !!


– रंजन कुमार 

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