Heart felt tribute to a friend : एक जंगल है तेरी यादों का उससे गुजरूँ तो राह भूल जाता हूँ – Ranjan Kumar

अरुण की पुण्यतिथि 22 मई पर विशेष – नमन और श्रद्धांजलि ..!

maruti 800

ग्यारहवी के दो छात्र,दोनों की अटूट दोस्ती ..ए दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे वाली स्टाइल में ,१५ और १६ वर्ष की अल्हड उम्र और मारुति ८०० गाड़ी…!

एक जो अपने पिता की गाडी ले आया था जो लेफ्टिनेंट कर्नल थे कुछ कुछ तो चलाना जानता ही था और दूसरे दोस्त को सिखाने के प्रयास में शहर की आबादी से दूर हेलिपैड वाले क्षेत्र में गाडी लिए जा रहे थे …और ये शहर था बिहार का एक नक्सल प्रभावित जिला मुख्यालय जहानाबाद !
 
अचानक गाडी ड्राइव कर रहे छात्र ने दूसरे को गाडी ड्राइव करने कहा जो पहली बार कार की ड्राइविंग सीट पर बैठनेवाला था ! शहर की आबादी से तो दूर आ गए थे पर एक दो गाड़ियाँ आ जा रहीं थी ..अक्टूबर का महीना और शाम का समय ! 
 
अब नौसिखिये के हाथ में कार की स्टेयरिंग देकर दूसरा म्यूजिक सिस्टम में टेप बदलने में ब्यस्त हो गया ! लहराती हुयी गाड़ी चल रही थी कभी रोड के बाएं तो कभी दायें ,कोई कन्ट्रोल नहीं…
two friends together
तभी सामने से डिस्ट्रिक्ट कलक्टर की गाडी आती दिखती है लाल बत्ती जलाते हुए…कलक्टर महोदय भी बहुत दबंग , हमेशा खुद ड्राइव करते हुए चलते थे ,ड्राईवर और दो गनर साथ गाडी में ही,और कोई काफिला आगे पीछे नहीं..! 
 
उन्होंने देख लिया सामने की गाड़ी को इस तरह रोड पर चलते हुए ,लेकिन जब तक सँभालते खुद को …तबतक सामने से धड़ाम…! 
 
इस बीच उस नौसिखिये चालक ने दोस्त को कहा अब क्या करें ? उसने कहा ब्रेक दबा लेकिन जब तक कुछ किया जाता ब्रेक के बजाय एक्सीलिरेटर पर पैर गया और जो होना था हो गया ! 
 
दोनों में से किसी के पास भी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं न ही ड्राइविंग की उम्र,और टक्कर सीधे कलक्टर की गाडी से ..दोनों खामोश बैठे हैं अंदर और सामने की गाड़ी से साहब का पूरा स्टाफ बाहर और साहब भी ..
 
अजीब दृश्य था ..दोनों चुपचाप बैठे हैं अंदर और कलक्टर कह रहा है चल बाहर आ दोनों और दोनों सुन नहीं रहे …खामोश ! 
 
गुफ्तगू होती है आपस में अब क्या करें ..जिसकी गाड़ी है वह कहता है फिकर नहीं यार .. अब ठोक दी तो ठोक दी, चल अब इन्हें भी देख लेंगे ..
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और फिर ए दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे गुनगुनाते हुए हाथो में हाथ डाले जो हुआ उससे बेफिक्र दूसरी तरफ से दोनों बाहर निकल सामने खड़े हो जाते हैं और पूछते हैं …गलती तो कर दी ..माफ़ी के लायक नहीं तो माफ़ी भी न मांगेंगे …कहिये अब क्या हुक्म है,जो भी मिले मगर हम दोनों को ही मिले …कलक्टर साहब ये हौसला और साफगोई सुन हैरान …! 
 
इस कहानी को तो यहीं रोकता हूँ ,आगे क्या हुआ ये प्रासंगिक है भी और नहीं भी …आगे की कहानी इसके मेरे उपन्यास “कुसुम” में वर्णित है !
 
आज इनमे से वह एक दोस्त नहीं है दुनिया में ..उसकी पुण्यतिथि है आज …और दूसरा भरे मन से उसे याद करते हुए श्रद्धांजलि लिख रहा है …ऐसी दोस्ती और दोस्त पर ताउम्र फख्र महसूस होगा …
 
अरुण तुम इस दुनिया से गुजर जाने के इतने सालों के बाद भी यादों में वैसे ही जिन्दा हो …ए दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे …वो बेबाकी और वो हौसला जो किया कर दिया तो अब देख लेंगे ..मन से आज भी नहीं उतरा …काश साथ थोडा लम्बा होता इस सफ़र में …
 
सुन सको तो सुनो कुछ कह तो रहा हूँ मैं ,
एक जंगल है तेरी यादों का 
उससे गुजरूँ तो राह भूल जाता हूँ !!

अरुण की पुण्यतिथि 22 मई पर विशेष – नमन और श्रद्धांजलि ..!

– रंजन कुमार
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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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