धृतराष्ट्र और गांधारी की संतानें और आइना

Thought provoking Hindi poem by Ranjan Kumar on Dhritrashtra blindness & Gandhari,'s self imposed blind fold

धृतराष्ट्र और गांधारी
की संतानें
आईना देखना नही जानती थीं
एक वाहियात चीज थी आईना
उनके लिए
क्योंकि अंधे धृतराष्ट्र ने
कभी आईना देखा न था
और अंधे के प्रेम मे अंधी बनी
पाखण्डी गांधारी ने
अधत्व ओढ़ आईने को
त्याग दिया था …
आईना देखने की आदत होती
तो दाग धब्बे और आत्मा की मैंल
चेहरे पर देख पाते कौरव अपने
आईने मे उतर कर ..
अफसोस दोनो अन्धो ने
आईने की उपयोगिता ही नही बताई
जो सर्वनाश का कारक बना आखिर ..
आधुनिक धृतराष्ट्र की औलादों
आईने मे हो सके तो
खुद को निहार लो एक बार ..
नही तो परवरिश की इस कमी का अंजाम
सर्वनाश है यह तय समझ लो..
आईना कभी झूठ नही बोलता
असली औकात दिखा
स्वयं से मिला देता है …
सुंदर जीवन प्रस्फुटित हो
इसकी यही एकमात्र तरकीब है ..!!
रंजन कुमार

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Ranjan Kumar
Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ).
Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

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