आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार नोटबन्दी के बाद नए नोटों में भी जाली नोटों की संख्या में कई गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है!
नोटबन्दी के दौरान बताया गया यह फायदा भी नोटबन्दी का आखिर सरकारी आंकड़ों में ही नाकाम साबित हुआ,पहले की करेंसी से कई गुना ज्यादा नकली करेंसी नोट आज बाजार में हैं …
आर्थिक मोर्चे पर विफल रही सरकार के सामने गम्भीर चुनौतियां हैं अब ..कोई नीतिगत व्यवस्था नहीं है और किसी भी वित्त प्रबंधन के जानकार को मंत्रालय नही दिया और बड़ा दुर्भाग्य है!
दो दो आरबीआई गवर्नर ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल में सरकार की नीतिओ से असहमत होते हुए इस्तीफा तक दे दिया था फिर भी सरकार नही चेती,सरकार को आरबीआई गवर्नर से ज्यादा भरोसेमंद स्वर्गीय अरुण जेटली लगे थे तब,और वही से गाड़ी बेपटरी हो गयी देश की अर्थव्यवस्था गिरनी शुरू हुयी…!
वर्तमान आर्थिक हालात सरकार के लिए चिंता का विषय होना चाहिए पर सरकार गम्भीर नही दिखती,श्री रविशंकर प्रसाद जैसे नेता की वह टिप्पणी की फिल्में इतना कमा रही हैं तो मंदी कहाँ है जैसा कुतर्क इसका उदाहरण है कि सरकार गम्भीर नहीं इन मुद्दों पर ! हालाँकि अपनी फजीहत होनेपर मंत्री जी ने अपना बयान वापस ले लिया!
सरकार को सद्बुद्धि मिले और योग्य व्यक्ति कोई आकर वित्त मंत्रालय की गिरती सेहत सुधारे यह उम्मीद करें…उम्मीद पर ही दुनिया कायम है!
रंजन कुमार