चेहरे
परत दर परत,
उघड़ते हुये चेहरे !
सौम्य मुखौटे लगाये,
अपना सच छिपाते
बनावटी चेहरे !
याद रखना
हरएक चेहरे के पीछे
छिपे हैं अनेक चेहरे !
किसको समझोगे ,
किस किसको जानोगे ,
एक चेहरे के साथ हैं
अनगिनत चेहरे !
असली कौन मालूम नहीं ,
क्या पता कब दिख जाये
चेहरों के बीच फिर चेहरे !!
– रंजन कुमार