बाबूजी से बहाना बना के पैसा मांगने गये थे शाम को ताड़ी पीने के लिए तो बाबूजी ने भी पैसा तो दिया नहीं उलटा एक लाठी धर दिए कंधे पर ..!
बाबूजी भी न सठिया गये हैं, यह भी नही देखते अब दामाद वाला हो गये पसाकोलोजि के बिआह कर दिए .. अब भी लाठी से मार देते हैं जब मन करे तब जने मन करे ..!
पराजित मिश्र को यही सबसे बड़ी तकलीफ है कि उनकी इज्जत करना बाबूजी कब सीखेंगे,जो आजतक नहीं सीख पाए .. कब गदानेंगे बाबूजी हमको ..?
पराजित मिश्र पकिया बेशरम आदमी में गिने जाते हैं गाँव भर में ! लीचड़ जिसको कहते हैं गाँव की भाषा में ये उसमे से भी छंटे हुए लीचड हैं ! रात भर नींद नही आई और कमरे में टंगी दामाद बबुआ की पैंट ,और उसकी जेब में नोट उनके आँखों के सामने घूमता रहा !
वह कमरा जहां आज दामाद बबुआ को कोहबर मिला है पहली बार शादी बाद घर आये हैं तब , वह तो पराजित मिश्र का ही है .. इसलिए कमरे के कोने कोने से भली भांति परिचित हैं !
इसी कमरे में से अपना कारखाना चलाते हुए पराजित मिश्र ने ये जो अभी चार ज़िंदा हैं बेटियाँ उनके उत्पादन की नीव रखी थी .. जो पांच मर गये बेटे पैदा हो हो के तुरंत उनके निर्माण और उत्पादन की नींव भी पराजित मिश्र ने वही उसी कमरे में रखी थी और उनकी तो गिनती ही नहीं पूछिये कितनो की नीव रखी है इन्होने जिनकी भ्रूण हत्या इन्होने करवा डाला गर्भ में ही लिंग जांच करवा के .. चार बेटिओं के पिता पराजित मिश्र को हर हाल में बेटा चाहिए इसलिए कोशिश में लगे रहते हैं अभी भी, मगर कामयाबी नहीं मिल पायी है !
गिनती गिनने वाले लोग बताते हैं कि उन्नीस बार गर्भ धारण कर चुकी है इनकी पत्नी अबतक जिनमे से चार बेटियाँ जिंदा हैं और पांच बेटे जन्म के बाद मर गये .. दस बार अब तक अवैध रूप से किसी न किसी तरह पत्नी का ये गर्भपात करवा चुके हैं और अभी भी हार नहीं मानी है बेटा हर हाल में पाने की ललक मूंछो पर बरकरार है !
इस कमरे को उत्पादन के लिए बड़ा ही उर्वर मानती हैं इनकी पत्नी इसलिए आज पराजित मिश्र को इनकी मिश्राइन ने दलानी में भेज दिया है और अपने बेटी दामाद को कोहबर दिया है अपने उसी कमरे में ही, जहां की उर्वरता से भरी ऊर्जा से प्रभावित हो पराजित मिश्र ने तेईस वर्ष की शादीशुदा जिन्दगी में उन्नीस बार अपनी पत्नी को गर्भवती करने का पराक्रम किया है!
दामाद बाबू की जेब से कुछ रुपया निकाल लिए अगर तो कल के जुए का भी इंतजाम हो जाएगा और शाम की पौवा का भी .. दिन में ताड़ी भी खंसिया की चीखना के साथ चलेगा जब, तब पुनपुन किनारे बाँसवाडी में जुआ खेले के मजा आवेगा कल !!
क्रमशः जारी #पसाकोलोजि_भौजी & #फरोफ्रेसर_पुराण