ये जिन्दगी भी ये क्या जिन्दगी है,
जहाँ तोड़ती दम हर एक खुशी है !
बोझिल हवाएं कतरा के जाएँ,
अरमान बिखरे हुए दिल के टुकड़े,
फिर अंजुमन में खुशी क्या सजाएँ,
यहाँ हर कदम मौत ही हमनशी है !
ये जिन्दगी भी ये क्या जिन्दगी है,
जहाँ तोड़ती दम हर एक खुशी है !!
किसे हम सुनाएँ किसे सब बताएं ,
घुटन सी है छाई ये बादल की स्याही ,
करें याद किसको किसे याद आयें ,
यहाँ सच की कोई भी कीमत नहीं है !
ये जिन्दगी भी ये क्या जिन्दगी है,
जहाँ तोड़ती दम हर एक खुशी है !!
– रंजन कुमार