बेवजह मुझसे,
खफा खफा न रहो,
जिन्दगी मिली है
बहुत थोड़ी सी !
वक़्त का ज्यादा तू
ऐतबार न कर ,
क्या पता कब ले
कौन सी करवट !
किसी मोड़ पर बिछड़
जाऊंगा मैं यूँ ही ..
दूरियां होंगी महज
दहलीज भर ,
पार इसको भी
न कोई कर पाता ,
सिर्फ खामोशी
शोर करती है !
जिन पलों ने मायने दी
जिन्दगी को, उन पलों को
एक बार सहेज लें ,
पोटली यादों की
कुनमुनाती है,
सहेज लो इनको..
जो मैं खामोश,
ये वाचाल होंगे …!!
– रंजन कुमार