रास्ते दुश्वार हैं 
और तुम हो गाफिल ,
क्या तुझे यह पता है ?
आधा-अधूरा ही कटा ,
तुझे उस सफ़र का 
वास्ता है,अब जगो… !!
– रंजन कुमार

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