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तेरे सिवा 
कुछ और तो 
नहीं मुझको 
चाहिए इस बार ,
 
मेरे मौला !
तू मेरी राह भी 
और तू ही 
मेरी मंजिल है !
 
हाथ खाली न रहे 
फिर मेरा 
मुझपर यह 
रहम करना !
 
सिर्फ एक 
तू है जो मेरे साथ तो,
दुश्वारिओं की भी 
फिर परवाह क्या ?
 
– रंजन कुमार 

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