दीवानगी प्यार की तेरे
कुछ इस कदर,
चढ़ जाये मुझ पर,
जर्रे जर्रे में तुझे महसूस करूँ
और तेरी रहमतों में खो जाऊं !
दीदार खुली आँखों से
हो हर दम तेरा,
तेरी उम्मीद में जागूं
सुबह होने तक
तेरे इन्तजार में ही सो जाऊं !
रहम करना
इस बार न खाली जाऊं ,
युगों के बाद जगा हूँ ,
जगा रहूँ उस पार जाने तक
मेरे मालिक कहीं गाफिल न हो जाऊं !!
– रंजन कुमार