मौत दर्द नहीं है 
कोई पीड़ा भी नहीं है ,


एक सन्नाटा है मौत 
बस जोरदार सन्नाटा ..


जो धीरे से उतरता है 
और पसर जाता है !


इस सन्नाटे को
जो चीरती हैं चीखें ,


वह मृतक के लिए नहीं,


जो जिन्दा रह गए हैं
वो खुद के लिए चीखते हैं !


जो गया वह अब उनके लिए
क्या नहीं करेगा..


चीख चीख
इसका मातम मनाते हैं ,

बड़ी स्वार्थी है यह दुनिया..!

मातम मृतक का नहीं..
खुद का मनाते हैं लोग !


मौत दर्द नहीं है
कोई पीड़ा भी नहीं है ..


एक सन्नाटा है मौत,
बस जोरदार सन्नाटा..


जो धीरे से उतरता है
और पसर जाता है !!


– रंजन कुमार 

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