झूठ का वहम भी
अच्छा है
जिन्दगी को सुकून से
जी लेने के लिए !
सत्य खोल देता है जब
चेहरे के ऊपर का चेहरा
और झाड़ पोंछ देता है
परत दर परत जमी
वक़्त की धूल ,
तब रूबरू होता है
नंग धढंग नवजात बच्चे सा
रिश्तों का सच ,
जिन्दगी का सच
जो अक्सर तोड़ देता है !
सत्य का अन्वेषण
सूरमा करते हैं ,
यह कायरों का काम नहीं ,
हौसला हो दिल दिमाग
को सुन्न कर देनेवाली
इस बर्फ की परत हटाने की
तो आगे बढ़ो इस मार्ग में ,
अन्यथा
झूठ का वहम भी
अच्छा है
जिन्दगी को सुकून से
जी लेने के लिए !!
– रंजन कुमार