Ranjan Kumar

Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ). Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर सीमापार जाकर वायुसेना के फाइटर जेट ने की बड़ी कार्यवाई : Ranjan Kumar

    लाइन ऑफ़ कंट्रोल के पार जाकर भारतीय वायु सेना के फाइटर ने आज सुबह  साढे तीन बजे बड़ी कार्यवाई की और आतंक के कई ठिकानों को तबाह किया ! आ रही खबरों के मुताबिक जैश ए मोहम्मद के…

Spiritual Hindi poetry: मेरे मौला – Ranjan Kumar

flowers

तेरे सिवा  कुछ और तो  नहीं मुझको  चाहिए इस बार ,   मेरे मौला ! तू मेरी राह भी  और तू ही  मेरी मंजिल है !   हाथ खाली न रहे  फिर मेरा  मुझपर यह  रहम करना !   सिर्फ…

Spiritual Hindi poetry : दीवानगी प्यार की तेरे – Ranjan Kumar

book art

दीवानगी प्यार की तेरे  कुछ इस कदर, चढ़ जाये मुझ पर, जर्रे जर्रे में तुझे महसूस करूँ  और तेरी रहमतों में खो जाऊं !   दीदार खुली आँखों से  हो हर दम तेरा, तेरी उम्मीद में जागूं  सुबह होने तक  तेरे…

Hindi poem : मेरी आँखों में मत झांक – Ranjan Kumar

Ranjan Kumar

मेरी आँखों में मत झांक , हिलोरें मारता यहाँ सच का समंदर है ! तैरने का इल्म समंदर में सबको नहीं होता ! जिद की तो , ए नादान बेवजह डूब जाएगा ! जो थाह लेने आये हो गहराई की…

Love poem : उसके प्यार का वह फ़साना मैं आजतक कहाँ भूला – Ranjan Kumar

me and she

अब उसे कुछ भी तो  जब याद नहीं  वो बिसरी बातें , सोचता हूँ  क्या और क्योंकर  याद भी दिलाऊं मैं !  चाँद के पहरे में  पहरों सितारों से  करना मेरी बातें , लिखकर मेरा नाम  अपनी हथेली पर  मुझको…

स्वाभिमान और अभिमान के बीच अंतर – Ranjan Kumar

self respect & ego

स्वाभिमान और अभिमान के बीच बड़ी बारीक रेखा है एक …जागरूक रहे तो ठीक वरना कब स्वाभिमान अभिमान बन लील लेगा पूरा व्यक्तित्व यह समझते समझते बहुत देर हो जाता है…   स्वाभिमान व्यक्तित्व के निर्माण की पहली जरूरत है…

राम दूत मैं मातु जानकी। सत्य शपथ करुणानिधान की – सुंदर कांड तुलसीदास रचित रामचरित मानस से

तुलसीदास रचित श्री रामचरित मानस सुंदर  काण्ड से संकलित हनुमान सीता संवाद ..बड़ा ही मार्मिक चित्रण है जब हनुमान जी माँ सीता से लंका में पहली पहली बार अशोक वाटिका में मिलते हैं जब माँ सीता का मन उद्विग्न है…

Hindi love poetry : लो अब बहुत दूर हूँ तुमसे – Ranjan Kumar

old man alone walking

  लो अब बहुत दूर हूँ तुमसे, मुकम्मल  सफ़र भी हुआ चाहता है ,   वक़्त का काफिला जो चला साथ दूर कबका हुआ !   यादों की झुरमुटों के बीच कभी तेरी स्मृतियाँ , कौंध जाती हैं रह रह कर…

Hindi Poetry : मुझे लिहाज है मै मौन हूँ – Ranjan Kumar

Man standing alone

मुझे लिहाज है  मै मौन हूँ , और लोग हैं गुमान में ! नासमझ और मूर्ख जान  सब लूट रहे हैं मुझे , मै लुट रहा हूँ जानकर रिश्तों की मर्यादा रहे ! सोचता हूँ कब तक ये निभ पायेगा…