Love poem : वह चाँद आसमान का,महज एक टुकड़ा भर है तेरा हमदम – Ranjan Kumar

सुनो जानम, मैने तुम्हें मोहब्बत में कभी चाँद का टुकड़ा नहीं कहा.. क्योंकि आसमान का वह चाँद बेनूर है,बे नजाकत है मगरूर है..! वह तो बेवजह ही सिर्फ दिलजलों के कारण धरती पर मशहूर है..! तेरी आँखों की सब मस्त…