‘रस्मी बातों में कुछ नहीं रखा
तू इनमे ये वक़्त बरबाद न कर ,
जो कहना हो कह दो ..’
दो पल हैं पास तेरे बस
और दो ही पल हैं पास मेरे भी !
आवारा बादल का
एक टुकड़ा हूँ मैं भी और तू भी !
क्या पता रुख बदले
कब हवाओं का
अनकही और अनसुनी रह जाएँ..
ये दास्ताँ अधूरी सी और
हवाओं के संग फिर बिखर जाएँ
मैं भी और तू भी !!
– रंजन कुमार