Hindi poetry on present era of politics : तुम किधर हो इस लड़ाई में – Ranjan Kumar

which side you are


राजनीति का विद्रूप चेहरा ,
और 
आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी
व्यवस्था …


कर रही है आह्वाहन ,
सुनो यह झूठा आर्तनाद ,

बेईमान गद्दारों द्वारा
इमानदारी का ,
अगर बहरे नहीं हो ..!


समवेद गायन भी सुनो
एक दूसरे के घुर
विरोधिओं का ,
ये लामवंद हो एक स्वर में गायेंगे ,
भ्रष्टाचार राग ..!

भ्रष्टाचार के विरुद्ध
निकले लोगो पर,
एक स्वर में ..

ये सारे भ्रष्टाचारी मिलके
भ्रष्टाचार का आरोप लगायेंगे !


संक्रमण काल है यह ,
तंत्र देश और व्यवस्था हेतू ..!


नवयुग का आह्वाहन
अगर करना है ,
निर्धारित करना होगा
अपना लक्ष्य ,अपनी भूमिका ..!


और यह भी 

करना है निर्धारित कि , 
तुम किधर हो इस लड़ाई में ..
अब और चुप 

निरपेक्ष नहीं बैठ सकते ..!!

– रंजन कुमार

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