Ranjan Kumar classic poetry about reality of life and blood relationship:
इसे हर कोई झेलता है जो रिश्ते निभाने में लगा हो .. धूर्त रिश्तेदारों द्वारा शोषित होकर भी कहने का इसे साहस नहीं करते शरीफ लोग .. लेकिन लिखने के लिए कलम उठाना अपने आप में सबसे बड़ा दुस्साहस है .. और सच लिखना कलमकार की नियति .. वह कितना भी कड़वा क्यों न हो ..!!
खून के रिश्ते
कुछ नजदीक के रिश्ते
जो खून के रिश्ते
कहे जाते हैं ,
उन्हें खून का रिश्ता ही
क्यों कहते हैं ?
इसलिए क्योंकि ,
वो अधिकार के साथ
खून पीने के लिए ..
इश्वर द्वारा अधिकृत
प्रतिनिधि हैं ,
और वक़्त वक़्त पर
खून पीना उनका अधिकार है !!
– रंजन कुमार