विवेकानंद- आज जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?
परमहंस- जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो। यह इसे जटिल बना देता है। जीवन को सिर्फ जियो।
विवेकानंद- फिर हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
परमहंस- परेशान होना तुम्हारी आदत बन गई है, इसी से खुश नहीं रह पाते।
विवेकानंद- अच्छे लोग हमेशा दुख क्यों पाते हैं?
परमहंस- हीरा रगड़े जाने पर ही चमकता है। सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है। अच्छे लोग दुख नहीं पाते, बल्कि परीक्षाओं से गुजरते हैं। इस अनुभव से उनका जीवन बेहतर होता है, बेकार नहीं होता।
विवेकानंद- आपका मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी होता है?
परमहंस- हां, हर लिहाज से अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है। पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख देता है।
विवेकानंद- कठिन समय में कोई अपना उत्साह कैसे बनाए रखे?
परमहंस- हमेशा इस बात पर ध्यान दो कि तुम अब तक कितना चल पाए, बजाय इसके कि अभी और कितना चलना बाकी है। जो कुछ पाया है, हमेशा उसे गिनो, जो हासिल न हो सका, उसे नहीं।
विवेकानंद- मैं अपने जीवन से सर्वोत्तम कैसे हासिल कर सकता हूं?
परमहंस- बिना अफसोस के अतीत का सामना करो। पूरे आत्मविश्वास के साथ वर्तमान को संभालो। निडर होकर अपने भविष्य की तैयारी करो।
एक दुर्लभ प्रेरक संवाद : रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच !
संकलनकर्ता
– रंजन कुमार