चौथी पुण्यतिथि ..सादर नमन ..चाचाजी (स्वर्गीय श्री रामनरेश पाठक उसरी) .. श्रद्धांजलि …मेरे जीवन के सिद्धांतों पर आपकी स्पष्ट छाप है,और आप धड़कते रहेंगे मेरी धड़कनों में सदैव ही एक प्रेरणा बनके…12 वर्ष की मेरी उम्र,और उस दिन देवकुंड महादेव के जलाभिषेक के पश्चात आपने दिया था यह आदेश मुझे,भरोसे के साथ ..जब चारो ओर रास्ते धुंधले से थे मेरे आपने ही तो राह बतायी थी तब ..
“जब सच्चे हो तुम और दिल गवाही न दे और गलत करने को कोई कहे तो नहीं करना है वह ..कोई कुछ भी कर ले,समझौता कर के जिंदगी नही जीना है ..सत्य परास्त नही होता कभी, महादेव को महाकाल भी कहते हैं और ये हर पल तुम्हारे साथ हैं ..आखिरी निर्णय महाकाल पर छोड़ सिर्फ वह करते रहो सच्चे मन से जो सही लगे,जिसके लिए दिल गवाही दे ..”
तबसे आपका यह सिद्धांत मेरा जीवन सूत्र बन गया.. मेरे आखिरी साँस तक आप मुझमे धड़कते रहेंगे,मेरी यादों में जिएंगे मेरे मार्गदर्शक बनके सदैव ही.. जहाँ कहीं भी हो आपकी रूह मेरा वंदन नमन स्वीकार करें ..
– रंजन कुमार 03.05.19