Hindi Poetry: अस्तित्व नहीं कुछ भी ..

अस्तित्व नहीं कुछ भी , बहारों का, नजारों का , इन फूलों पत्थरों और पहाड़ों का ! अगर तुम नहीं शामिल, इन बहारों में , नजारों में, और इस जिन्दगी के, किनारों में !! – रंजन कुमार
अस्तित्व नहीं कुछ भी , बहारों का, नजारों का , इन फूलों पत्थरों और पहाड़ों का ! अगर तुम नहीं शामिल, इन बहारों में , नजारों में, और इस जिन्दगी के, किनारों में !! – रंजन कुमार
क्या रास्ता है, रहगुजर क्या , पूछ लूँ रब से जरा ! कौन गुजरा, कब यहाँ से, ले लूँ पता उसका ज़रा !! जरा जान लूँ पहचान लूँ, हैं दुश्वारियां क्या राह में ! कौन निकला पार इसके, और कौन…
कभी न घबराना तुम गम के जंगल में , आएगा दिन गर रात है आई , विश्वास तू करना खुद पर रब से भी ज्यादा , फिर होगी सुबह गर शाम है आई ! सपने देखो ऐसे जो तुम्हे आबाद…
मेरे हालात सुलझाने में मुसीबत में घिर मत जाना ! मुझको बहलाने में तुम खुद ही बिखर मत जाना !! गर्दिशों के दिन हैं मेरे तकाजा है वक़्त का सुन लो , गुस्ताखिओं पे गैरों सा तुम भी बिफर मत…
सख्त खामोशिओं के पहरे में देखो आसमाँ गुनगुनाता है , ये कौन झांकता है चाँद के पीछे , कौन मुझको बुलाता है ! मुद्दतों से जिसे पुकारा , जिसकी आरजू में खाक छानी है , वो मिलने आ रहा मुझसे…
महान धनुर्धर अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में, गांडीव हाथ में लिए .. अपनी श्रेष्ठता पर कभी इठलाता रहा होगा, उसकी नजरों के सामने एकलव्य का कटा अँगूठा, उसकी सफलताओं को अंगूठा दिखाते हुए .. उसकी खुशिओं पर मुस्कुराता…
वो हमीं से पूछते हैं , मोहब्बत कितनी करता हूँ उनसे ? पूछ लो अपने ही दिल से , ए – नादान सनम .. जितनी मोहब्बत की मेरी गवाही दे दे दिल तेरा .. बस उतनी ही .. मोहब्बत है…
कई एनजीओ के साथ मिलकर रेडलाइट एरिया मे देह व्यापार में संलग्न वेश्या का धंधा कर रही महिलाओ के पुनर्वास पर किये जा रहे कार्यों और इनकी विफलता के कारणों की पड़ताल भी की .. सभ्य समाज का यह सबसे गन्दा…
कुंती रही होगी माँ पर कर्ण की माँ वह कब थी ? और सूरज ने कब निभाया, है पिता ? भोगना है कर्ण को प्रारब्ध , जो न उसने है किया जो न उसकी है खता ? यह आज का दस्तूर…
अगला चुनाव मोदी जी और भाजपा अगर हारती है तो भाजपा के आईटी सेल में बैठे जनता को गाली देने वाले धुरंधरों का निश्चित ही बहुत बड़ा योगदान होगा, जो हार को तो पचा नही पा रहे और सरकार की…