Ranjan Kumar

Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ). Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

Part 1 – बड़ा बाबू – Introduction – उपन्यास की भूमिका

Bada Babu novel

वैसे तो वो पोस्ट ऑफिस का एक मामूली सा किरानी ही था लेकिन बड़ा बाबू कहलवाना ज्यादा पसंद करता था वह .. वैसे वह खुद भी कहा करता है कि जब सौ हरामी मरते हैं तब कहीं जाकर कोई एक…

Hindi Poetry: उधेड़बुन जारी है

Lots of Question Marks

मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज संकलित प्रतिनिधि कविताएँ से संकलित ” उधेड़बुन जारी है ” – चश्मे के अंदर से घूरती उसकी दो दो आँखे, अपलक लगातार ..! मैं असहज होता हूँ अंदर मन मे, नाराज होता हूँ पर वह …

बच सको तो सिर्फ बचो, अफ़सोस करने से ..

freedom

जिन्दगी में बच सको तो सिर्फ बचो,अफ़सोस करने से ..छीन लेता है चैन और सुकूनअफ़सोस ही अक्सर ! आधी जिन्दगी गुजरती है अफ़सोस करने में , और आधी गुजरी उन कर्मों में जिसपे अफ़सोस है अब ! मुकम्मल जिन्दगी हो जाये अगर…

Hindi Poery: पानी के बुलबुले सा ही तो है जीवन

Water drop

जीवन की रक्षा हेतू पल पल का प्रयास और मृत्यु भी पल पल अपने आगोश में लेने को आतुर, भिन्न भिन्न रूप बनाकर .. कब कहाँ कैसे ख़त्म हो जाये ये सफ़र मालूम नहीं .. फिर सब धरा रह जाता…

Hindi Poery : वह फिर चला गया फेंककर उजाला अपना

beautiful clouds

वह फिर चला गया फेंक कर सारा दिन उजाला अपना , मेरे खुद के अंधेरों ने उसे  फिर से नजरअंदाज किया ! कुछ तो कह रहा था वह मुझे  डूबते वक़्त भी धीमे धीमे , मेरे गुमान के शोर में…

सिर्फ दर्द – दर्द न करें , अपना रोना .. रो लें !

sad dog

उनसे कहो सिर्फ दर्द – दर्द न करें ,   बल्कि अपना रोना  सब मिलकर रो लें !   एक उम्र है मेरे साथ तजर्बे की ,   मैंने जख्म को हीं मरहम होते देखा है !!   – Vvk

Hindi Poetry: अस्तित्व नहीं कुछ भी ..

small girl walking in the forest

अस्तित्व नहीं कुछ भी , बहारों का, नजारों का , इन फूलों पत्थरों और  पहाड़ों का ! अगर तुम नहीं शामिल, इन बहारों में , नजारों में, और इस जिन्दगी के, किनारों में !! – रंजन कुमार

क्या रास्ता है ? रहगुजर क्या .. पूछ लूँ रब से ज़रा

boy sitting alone on the rock

क्या रास्ता है, रहगुजर क्या , पूछ लूँ रब से जरा ! कौन गुजरा, कब यहाँ से, ले लूँ पता  उसका ज़रा !! जरा जान लूँ पहचान लूँ, हैं दुश्वारियां  क्या राह में ! कौन निकला पार इसके, और कौन…