Ranjan Kumar

Ranjan Kumar

Founder and CEO of AR Group Of Institutions. Editor – in – Chief of Pallav Sahitya Prasar Kendra and Ender Portal. Motivational Speaker & Healing Counsellor ( Saved more than 120 lives, who lost their faith in life after a suicide attempt ). Author, Poet, Editor & freelance writer. Published Books : a ) Anugunj – Sanklit Pratinidhi Kavitayen b ) Ek Aasmaan Mera Bhi. Having depth knowledge of the Indian Constitution and Indian Democracy.For his passion, present research work continued on Re-birth & Regression therapy ( Punar-Janam ki jatil Sankalpanayen aur Manovigyan ). Passionate Astrologer – limited Work but famous for accurate predictions.

नजरिया ही ले जाता है हमे आनंद से परमानंद तक

gautam buddha wallpaper

जैसे ही देखने समझने का हमारा नजरिया बदलता है सब नजारे बदल जाते हैं फिर .. और उसकी तो रीत ही यही है जो जिस भाव से उसे भजता है वह उसे उसी रूप मे मिल भी जाता है! स्थूल…

चरित्रहीनता ऐसा दुर्गुण जो कभी माफ़ करने लायक नहीं

cheated

हर गलती की माफ़ी हो सकती है पर मेरी नजर में चरित्रहीनता ऐसा दुर्गुण है जो कभी भी माफ़ करने लायक नहीं! जो एक बार मेरी नजर से गिरता है इस दुर्गुण के कारण उसे मैंने कभी दूसरा अवसर कुछ…

लोग मिलते रहें, बिछड़तें रहें.. सफर आखिर लिखा तन्हा था, चलता रहा !

alone boy

मुसलसल हादसों का सिलसिला .. चलता रहा ,  बारिश होती रही,शाख से पत्ता-पत्ता टूटता रहा ! . लोग कुछ जों बैठें थे .. रौशिनी की फ़िराक में , सूरज को भी फर्क किआ, आखिर डूबता रहा ! . समंदर के किनारे…

पारिवारिक तानेबाने का एक अद्भुत सच !

depressed girl sitting alone

पारिवारिक तानेबाने का एक अद्भुत सच बताता हूँ जो अनेक लोगों की समस्याओं को सुनते और उनका समाधान खोजते मुझे मिला है .. परिवार में तीन तरह के लोग होते हैं .. शोषक, शोषित और तमाशबीन ! परिवार में तभी…

जो जलता चिराग बरसात में हो तो ?

lamp near window

सोचो हम .. इक दुसरे के  कुछ इतने पास में हों तो ? बेशक हजारों मीलों .. का , फासला दरमयान में हो तो ? वादा – ए – वफ़ा के सिर्फ , बहाने , महेज कुछ भी नहीं ,…

राम को वनवास दे ही दिया जब मरो पुत्र वियोग में, रोवो तड़पो चीत्कार करो !

lord rama sketch

मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज पुस्तक मे संकलित प्रस्तुत है ये रचना .. राम को वनवास दे ही दिया जब तो नियति है फिर  यही दशरथ की  मरो पुत्र वियोग में रोवो तड़पो चीत्कार करो! सुकून की साँस  मिल नहीं सकती …

मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया

army cap

मुंदती हुयी आँखों के चारो ओर सिमटती हुयी दुनिया, और बुझता हुआ  , जिन्दगी का चिराग ! कह देना सितारों से आकर ले जाएँ , कुछ अनकहे से शब्द सन्देश, मेरे उन सब अपनों के लिए , जिनकी आशाओ का केंद्र…

कभी गधा भी बाप, और कभी बाप भी गधा !

urx

चापलूसों और स्वार्थी लोगों के लिए कोई रिश्ता नही होता .. जरूरत पड़ने पर गदहे को बाप और बाप को गधा कहने मे पल भर की भी देर नही करते !जिस सीढ़ी को पकड़ ऊपर चढ़ना सीखा ऊपर पहुंचते ही…