जैसे ही देखने समझने का हमारा नजरिया बदलता है सब नजारे बदल जाते हैं फिर .. और उसकी तो रीत ही यही है जो जिस भाव से उसे भजता है वह उसे उसी रूप मे मिल भी जाता है! स्थूल से परे ये भावनाओं की दुनिया मे सूक्ष्म जगत के नजारे हैं जिसका आनंद विरले ही ले पाते हैं !
और यही आनंद बढ़ता जाता है पल पल और परमानंद तक ले जाता है, नजरिया ही महत्वपूर्ण है जिन्दगी में जिन्दगी को आगे बढाने के लिए .. सकारात्मक या नकारात्मक जैसी हमारी सोच होगी जैसी हमारा नजरिया होगा हम वैसे ही बनते चले जाते हैं !
याद रखिये .. नजरिया ही हमारा हमें ले जाता है .. आनंद से परमानंद तक!!
– रंजन कुमार