हर गलती की माफ़ी हो सकती है पर मेरी नजर में चरित्रहीनता ऐसा दुर्गुण है जो कभी भी माफ़ करने लायक नहीं!
जो एक बार मेरी नजर से गिरता है इस दुर्गुण के कारण उसे मैंने कभी दूसरा अवसर कुछ कहने का नहीं दिया है, उससे पहले नजदीकी कितनी भी रही हो ! मुझे उसमे फिर कुत्ते दिखने लगते है जिन्हें पैदा होने के अगले साल तक में माँ बहन की शक्लें भी याद नहीं रहती , सिर्फ वासना याद रह जाता है !
अक्सर देखता हूँ महिलाओं की नियति है बार – बार अपने चरित्रहीन पुरुष को माफ़ करना .. एड्स के लिए काम करनेवाले NGO के आंकड़े देखता हूँ तो पता चलता है 90 % तक महिलाओं को ये बीमारी अपने चरित्रहीन पतिओं से मिली है और उन्हें मालूम था पति गलत करता है पर माफ़ी मांगी तो माफ़ कर दिया !
समाधान क्या है फिर ये सोचना सामाजिक विचारकों का कार्य है लेकिन एक विचार जो मुझे आता है कि बहनों ऐसे पतिओं को माफ़ मत करो !
उसके अंदर के पुरुषत्व को घायल करो माफ़ करने के बजाय .. उसके सामने शर्त रख दो जो तुमने किया है वही अब मैं भी कर लूँ .. फिर दोनों एक दूसरे को माफ़ करने की सोचेंगे .. अगर ये हौसला दिखाया तो घायल पुरुषत्व कभी फिर दुबारा गलत सोचेगा भी नहीं !
बहनों को सच में ये करना नहीं है, बस उसके दंभ को तोड़ो, अभिनय करो .. शायद आनेवाला कल बेहतर होगा !
विचार मेरे ये, निजी हैं ! और हीलिंग कोन्सेलिंग के दौरान अनेक लोगों के संपर्क में आने के बाद का निचोड़ .. आप सहमत हों या असहमत .. समाधान जरुर खोजिये !
इंसानों को कुत्ता होने से बचाइए .. इसका दूसरा पहलू भी है जहाँ पुरुष पीड़ित है और महिलाएं चरित्रहीन .. इसके ऊपर फिर कभी लिखूंगा !!
– रंजन कुमार