
जब निकम्मों का हुक्म
हुनर वालों को
मानने पर
विवश होना पड़े ,
जब मूर्खो का भाषण
बुद्धिमानो को सुनना
लाचारी हो ,
और नालायक साबित
हो चुके लोग
लायकों को
नसीहत देने लगें,
तब समझ लेना
ये संक्रमण काल है ,
रब की मर्जी नहीं !
इसे खुद
ठीक करना होगा ….
फ़रिश्ते नहीं आयेंगे
ये दौर बदल देने को !!
– रंजन कुमार